DO YOU KNOW THE MEANING OF NUMBERS WRITTEN ON COOKING GAS CYLINDER // क्या मतलब होता है गैस सिलेंडर पर लिखे नंबर का

क्या मतलब होता है गैस सिलेंडर पर लिखे इस नंबर का

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गैस सिलेंडर हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है | इसके बिना लगभग सभी की रसोई अधूरी सी लगती है, इसके बिना खाना पकाना बहुत मुश्किल है | रसोई में कोई भी व्यक्ति हो चाहे छोटा या बड़ा वह आसानी से गैस सिलेंडर का इस्तेमाल कर लेता है | फिर भी इसको इस्तेमाल करते समय काफी सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि यह कई बार जानलेवा साबित हो सकता है | लेकिन दोस्तों क्या आपने कभी गैस सिलेंडर लेते वक्त उस पर लिखे नंबर के बारे में ध्यान दिया है, आखिर क्या होता है इस नंबर का मतलब, यह सिलेंडर पर क्यों दिया जाता है | आज के इस article में हम आपको यह बताएंगे की क्या मतलब होता है गैस सिलेंडर पर लिखे नंबर का |




दोस्तों अपने कभी गौर किया हो तो अपने देखा होगा की गैस सिलेंडर पर कुछ नंबर लिखे होते है | गैस सिलेंडर पर रेगुलेटर के पास तीन पट्टियाँ बनी होती है जिसको हम तीन छोटे पिलर्स भी कह सकते है | उन्ही में से किसी एक पट्टी पर A, B, C, D के साथ कुछ नंबर भी लिखा रहते है | गैस कम्पनियां इस अल्फाबेट्स को 12 महीनो के हिसाब से 4 भागो में बाँट देती है |





जैसे A जनवरी से मार्च तक, B अप्रैल से जून तक, C जुलाई से सितंबर तक और डी अक्टूबर से दिसंबर तक होता है | सिलेंडर पर लिखा यह कोड या लेटर सिलेंडर की टेस्टिंग के महीने को दर्शाते है | वहीं इस लेटर के आगे लिखा नंबर किस साल में टेस्टिंग होनी चाहिए उसके ईयर को दर्शाता है | उदाहरण के लिए B-21 का मतलब है की गैस सिलेंडर अप्रैल से जून 2021 तक टेस्टिंग के लिए भेजा जाना चाहिए या गैस सिलेंडर का टेस्टिंग पीरियड अप्रैल से जून 2021 तक है | ठीक इसी प्रकार A-19 का मतलब है की गैस सिलेंडर का टेस्टिंग पीरियड जनवरी से मार्च 2019 तक है | इस डेट के बाद अगर गैस सिलेंडर का उपयोग किया जाता है तो सिलेंडर का वॉल्व लीक तो नहीं कर रहा है ये चेक करके ले | और यदि लिए गए सिलेंडर की डेट पुराणी है तो उसको गैस एजेंसी में जाकर बदलवा सकते है | कैसे बनते है गैस सिलेंडर और कैसे होती है इनकी टेस्टिंग


दोस्तों LPG गैस सिलेंडर को BIS 3196 मानक के हिसाब से बनाया जाता है और इसको वही कंपनी बना सकती है जिनके पास BIS लाइसेंस के साथ CCOE यानी चीफ कंट्रोलर ऑफ़ एक्सप्लोसिव से अप्रूवल मिला हो | वही जब सिलेंडर बनता है तो इसकी टेस्टिंग हर लेवल पर होती है | BIS कोड्स ऐंड गैस सिलेंडर रूल्स 2004 के हिसाब से सिलेंडर को बाँटने से पहले टेस्ट होता है | वही 10 साल के बाद सभी नए सिलेंडरों को बड़ी टेस्टिंग के लिए भेजा जाता है | फिर 5 के बाद दोबारा उसी प्रकार से टेस्टिंग होती है | जब गैस सिलेंडर प्रेशर टेस्ट को पास कर लेते हैं तभी सर्कुलेशन में लाए जाते हैं.


दोस्तों आमतौर पर एक गैस सिलेंडर की 15 साल तक की लाइफ होती है और उस समय के दौरान अनिवार्य परीक्षण (tests) दो बार आयोजित किए जाते हैं. सिलेंडर के लीकेज को पानी भरकर जलविद्युत परीक्षण (hydro test) के जरिये जांचा जाता है और साथ ही एक दूसरा टेस्ट किया जाता है जिसमें आमतौर पर जो सिलेंडर में दबाव होता है उसका पांच गुना अधिक दबाव दिया जाता है. यदि सिलेंडर इन परीक्षणों में से किसी में भी विफल रहता है, तो इसे नष्ट कर दिया जाता है

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